प्रतीक बैद (जिला संवाददाता)
किशनगंज (बिहार)- ऐसा सायद ही देखने को मिलता है जहां अपने साथ साथ अपने छोटे भाइयों की भी जान की परवाह किए बिना अपने देश को आजाद कराने के लिए लड़ाई के मैदान में कूद जाए। जी हां किशनगंज की पावन धरती पर ऐसे ही एक वीर पुत्र स्वर्ग श्री किशन लाल बैद का जन्म हुआ था। स्वर्गीय श्री किशन लाल बैद ने अपने साथ साथ अपने दुतीय भाई बीर बद्र बैद व अपने सबसे छोटे भाई गोपाल लाल बैद को देश पर कुर्बान होने के लिए फिरंगियों के खिलाफ लड़ाई के मैदान में उतार दिया था। भारत माँ को फिरंगियों की कैद से आजाद कराने के लिए अपनी माँ से सालो तक दूर रहते थे किशन जी। इस योद्धा ने देश की आजादी के लिए अपने घर परिवार को त्याग दिया ,अपने रिश्तों को देश के लिए कुर्बान कर दिया, अंग्रेजों की प्रताडऩा के बावजूद अपना सिर को झुकने नहीं दिया। इसी के चलते फिरंगियों के दांत खट्टे करने वाले किशन लाल बैद आज शहीद होकर भी लोगों की जहन में अमर है। स्वर्ग किशन लाल बैद के द्वतीय पुत्र बाबुल कुमार बैद ने बताया कि जब अंग्रेज मेरे पिता को गिरफ्तार नहीं कर पाते थे तब वे घर वालों को प्रताड़ित करते थे। इसके बावजूद उनकी दशभक्ति में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने बताया कि देश को आजाद कराने के दौरान फिरंगियों पर हमला करने के लिए बिस्फोटक सामग्री इकठा कर घर पर ही छिप कर बम बनाया करते थे। घर से निकलते थे तो कब वापस लौटेंगे इसका कोई ठिकाना नहीं होता था। जगह जगह जाकर सत्याग्रह में भाग लिया करते थे व पकड़े जाने पर कई दिनों तक जेल की यातानाएं भी काटी। श्री बैद ने बताया कि मेरे पिता व चाचा की तरह किशनगंज जिला में आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने वाले ऐसे और भी लगभग एक दर्जन वीर योद्धा है जिनसे अब तक जिले की आधी आबादी अनभिज्ञ है। स्वत्रंता सेनानी के पुत्र श्री बाबुल कुमार बैद ने कहा कि अपने पिता द्वारा देश के लिए दिए गए बलिदान से खुद को गौरवांवित महसूस करता हूं एवं भविष्य में भी अगर अपने देश के लिए बलिदान देने की बात होगी तो हमारा परिवार उसके लिए हमेशा अपना योगदान देने के लिए तैयार है।
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Salute ur family by my heart sir
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