ऑंधियों की ऑंखों में ऑंखें डालकर ,बेबसों के लिए खून देने को तैयार किशनगंज पुलिस।
दास्तान ए लॉकडाऊन
किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की रिपोर्ट।
डीजीपी बिहारएवं एसपी किशनगंज (फाइल फोटो) |
किशनगंज (बिहार )- आंधियों से आंख मिलाओ ,तूफानों पर वार करो ।मल्लाहों का चक्कर छोड़ो ,तैर के दरिया पार करो।
जी हॉं ,ये मैं नहीं "किशनगंज पुलिस "कहती है ।जहाँ ये खून तक देने को तैयार बैठी है ।पर इस दरियादिली के पीछे कि हकीकतें भी वयान ए दास्तां होगी ।जहाँ बाज़ की तरह ये अपराधियों पर झपट पड़ती है और सम्हलते समझते खूंखार भी इनके पंजों का शिकार होने से नहीं बच पा रहे हैं ।जिसकी हकीकतें अब जिलों में हीं नहीं ,नेपाल ,बांग्लादेश ,पच्छिम बंगाल की सीमाओं को चीरती बिहार और पूरे हिन्दुस्तान में सुनी जा सकती है ।तो आईए आपको खून देने बाली "बिहार पुलिस के मातहत किशनगंज पुलिस की अजीब व गरी़ब हैरतंगेज कहानियों से नहीं बल्कि हककतों से रु व रु कराते हैं।
साहब ,इसके बाद जो क़ोरोना भगाने की जंग छिड़ी तो एस .पी .के सिपहसालार सुमन कुमार ने बिहार में सबसे पहले चुनिंदा बेबस लाचारों को गांव गांव जाकर फूड पैकेट बांटे ।ताकि कोई भूखा ना सोये ।इन्होंने थाना ,प्रखंड की सीमाऐं तोड़ डाली और खाना बांटा ।इसी बीच इस सिलसिले को जारी रखने के बीच एस.पी.साहब के आदेश पर इन्होंने पूर्णियां ,पटना से दवाईयाँ मंगाकर मुफ्त में बीमारों तक पहुंचाने की मुहिम छेड़ दी ।जिसकी पूरी जानकारियां जनाब मैं आगे आपसे साझा करुंगा ।कहानी थोड़ी लम्बी जरुर है ,पर हकीकत रोंगटे खड़ी करने और सिहरन पैदा करने बाली है ।जब कैंसर के रोगी को दवा और महावीर कैंसर संस्थान पहुंचाने की समस्याओं ने बहादुरगंज थानाध्यक्ष सुमन को एक चैलेंज दे डाली ।फिर क्या था जहाँ आपसी वेतन के चंदों से भोजन जुटाया गया ,वहीं इनके सहयोगियों ने हार नहीं मानी । दरियादिल एवं गरीबों के मसीहा पुलिस कप्तान कुमार आशिष के हौसलाफजाई पर एक एम्वुलेंस भाड़े पर लेकर कैंसर रोगियों के खिदमत में लगा दिया ।जिसका व्योरा भी मैं आपको दूंगा --बिहार पुलिस के चेहरे बदलते वक्त में निखरने लगे ।जहाँ से किशनगंज पुलिस जिंदाबाद के नारों की गूंज बिहार पुलिस के मुखिया माननीय गुप्तेश्वर पाण्डेय जी के कानों तक पहुंची ।तो वे 05 मार्च 2020 को किशनगंज एस.पी .कुमार आशिष को अपनी शुभकामनाएं देते हुए पूरे बिहार में उनके द्वारा लॉकडाऊन में किये जा रहे कामों की मिशालों का संदेश दिया ।
इधर बहादुरगंज में यहाँ की पुलिस अपने रहबर सुमन कुमार के नक्शे कदमों पर चलकर दिन रात एक करने में लगे थे ।इसी बीच 14 अप्रेल 2020 की वह डरावनी रात जब 04 साल की रीति कुमारी पिता नरेश कर्मकार ,ग्राम ईकड़ा (लोहागड़ा ,थाना गरभनडंगा )खून की कमियों से जिंदगी -मौत की जंग लड़ रही थी ।उसे A(+) ग्रूप खून की जरुरत थी और वह मिल नहीं पा रहा था ।ऐसे वक्त में नरेश ने एस .पी .किशनगंज से गुहार लगाई।एसपी साहब ने पता लगाया और नहीं मिलने पर सुमन कुमार ,थानाध्यक्ष बहादुरगंज को इसके जरुरत को बताया।
उस समय महिला सिपाही नं.78 बहादुरगंज थाना पूनम कुमारी (25) ने हंसते हंसते अपने अंदर पनपती मॉं की ममता को जन्म देकर रीति को अपना खून दिया और रीति बच गई ।कहानी यहीं खत्म नहीं होती है साहब ,उस उपर बाले का इम्तेहान भी अजी़ब होती है ।सुमन जी की बीबी बीमार हो अपने छः साल के सिद्धार्थ को उसके नाना (पटना)के पास छोड़ दिल्ली के एम्स में पहुंच जाती है ।जहाँ उनका भाई ईलाज कराने में लग जाता है ।और बाप का जांबाज सिद्धार्थ अपने बाप के हौंसलों को कोरोना की लड़ाई में बरकरार रखकर फोन से कहता है -शाबस पापा मम्मी ठीक हो जाऐगी ,मैं नाना के साथ हूं ,पर आप मत घबडाना ,लोगों की सेवा करना पापा ...।जिसकी बातें सुन डी.जी .पी .बिहार आदरणीय गुप्तेश्वर पाण्डेय भी भावविह्वल हो जाते हैं तथा सुमन जैसे जांवाज पर फख्र करते हुए ,सुमन से बातें कर "कोरोनावीर " की उपाधी देने की घोषणा से पूरे बिहार पुलिस में नई जान डाल देते हैं।
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झकझोरने वाली दास्तां है। हमें फर्क है किशनगंज पुलिस पर
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