अथ श्री कोरोना महाकथा
प्रोफेसर डॉ सजल प्रसाद |
अथ श्री कोरोना महाकथा
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रामायण-काल, महाभारत-काल अउर ई आया है कोरोना-काल ! अब ई बात तो सबै समझ लीजिए कि ये कोई त्रेता यूग तो है नहीं कि भगवान श्रीराम पधारेंगे। द्वापर युग भी नहीं कि भगवान श्रीकृष्ण अवतरित होंगे।
अच्छी तरह बुझ लीजिए ... ! ई कलजुग है, घोर कलजुग ! तो, कोई रावण या कंस जैसा ही आवेगा न !
... नहीं-नहीं, उनसे भी भयंकर आवेगा। आवेगा क्या .. परदेस के बाद अपने देश में भी अइये गया है न, कोरोना महाराज ! ... बड़ा मायावी है। किसी को दिखाइये नहीं देता है ... वही, मिस्टर इंडिया टाइप !
लेकिन, बहुत कायरो है ई कोरोना। अरे भाई ! हमला करना है तो, सामने से करो या नहीं तो पीठे पर वार करो। ई क्या, कभी आदमी के जुतवे में सट जाते हो तो कभी सब्जी के थैले या दुधवा के पैकेटवा में लटक जाते हो !
ई कोनो अच्छी बात नहीं है, कोरोना भाई ! एगो बात कहते हैं तुमसे! खाली तुम ई सटना-लटकना वाला बिहेवियरवा बदल लो और हम आदमियन को तोहरे काट का एगो वैक्सिनवा बना लेने दो तो खूब जमेगी जब मिल बैठेंगे दीवाने दो ! .... अरे ! और कौन ? तुम और हम !
उधर, ट्रम्प चाचा भी तोहरा फेस देखने के लिए बेचैन होले हैं। उ तो तोहरा नामकरण भी कर दिये हैं, चाइना वायरस ! ई नाम पसंद ना हो तो कहियो ! ऊहो तोहरा से जाम टकराए ख़ातिर ढ़ेर उपाय करवा रहे हैं ! सब साइंस्टीट्वा को जोतले हैं !
अउर इधर, अपने मोदी जी तो तोहरा से लुका-छिपी का खेल हम सबनी के सीखा रहे हैं ! हे कोरोना भाई ! सच कह रहे हैं हम, मोदी जी लोकडौन करके तुमको चकमा देने की जुगत में लगल हैं। लोकडौन वन, टू, थ्री अउर अब फोर की तरफ कदम बढ़ाए की तैयारी में हैं। बड्ड खिलाड़ी हैं। बिहार-यूपी के गमछवा की महिमा भी ठीक से समझा गए हैं।
ई मोदी जी भी एक तीर से दूगो-तीनगो शिकार करे में शुरुए से माहिर न हैं ! लोकडौन कराके लोगवन के घर में घुसा दिए अउर तोहरा से मुकाबला करे के ख़ातिर डागदर, नरस के लिए प्लास्टिक के ड्रेस... अरे, उही पीपीई सिलवाने लगे, मस्कवा भी .. ! लगे हाथ वंटिलेटरवा का भी आर्डर दे दिए .. रेलवा के बोगियो को भी रिजर्व करवा दिए। माने तुमरा हमला हुआ तो तैयारी रहे ! एकरे बीच में तोहरा डर भगाने के लिए थाली पिटवा दिए, दीवाली मनवा दिए !
पर, हे कोरोना भाई ! ई न समझना कि हमरे गरीब-गुरबा मजदूर भाई-बहिन तोहरा डर से पैदल अउर साइकिल से गाँव लौट रहे हैं ... उ तो फैक्टिरवा के मालिकन सब के ऐन बखत में मुँह मोड़ लेवे के बाद अउर सरकार के रवैये के बाद भूख से बच्चा लोग जब बिलबिलाए रहे तो इहे देख के मजदूर भाई लोग मजबूर हो गइलन।
हाँ ! कान खोल के सुन लो ओ कोरोना भाई !महानगरवा में हमरे गाँव-जवार के मजदूर इतना धूल-सीमेंट-केमिकल फाँक लिए हैं अउर गंदवा नाला के बगल वाला झोपड़पट्टी में रह लिए हैं कि उनके इम्युनिटी सिस्टमवा ढ़ेर मजबूत है। उनकर पेट के अन्दर तू जइब त'अ पेटवे में मुआ जइब'अ !
फेर, अपन भारत मे तो तू जानत ही हो कि अदरख, लहसुन, हल्दी, तुलसी पत्ता जइसन चीज घर-घर रहत है और भारतवंशी इन सब चीज के रोजे सेवन ढ़ेर करत हैं त'अ ऑफिस में काम करे वाला क्लर्क अउर अफसर के इम्यून सिस्टम भी ठीकठाक रहत है। सोमरस के पान करे वाले के तो बाते जुदा बा !
पर, कोरोना भाई ! तोहरा आए के बाद सब मेहरारू शुक्रगुज़ार हैं। .... काहे ? अरे, शहरवा के सूट-बूट वाले सब मरदवा अपने मेहरारू के काम में खूब हाथ बंटा रहे हैं। झाड़ू-पोंछा, बरतन, रसोई, कपड़ा धुलाई ... सब काम में ई लोग अब 'आत्मनिर्भर' हो गइल हैं। एकरे साथ मरद लोग भी बड्ड खुश हैं। मेहरारू के शॉपिंग बंद है, लिपिस्टिक के खर्चा अलग बच गइल है !
लेकिन, कोरोना भाई ! सबसे इंटरेस्टिंग बात ई है कि जब मोदी जी लोकडौन कराए त'अ अपने बड़का अम्बानी भाई ... अरे, उही मुकेश भैया अपन 11 हजार करोड़ के लागतवा से बनायल गइल गगनचुम्बी एंटीलिया के पहली बार कोना-कोना देख लेलस ! सो, ओकरो तरफ से तोहरा के खास मुबारक़बाद।
डॉ. सजल प्रसाद
एसोसिएट प्रोफेसर व
हिंदी विभागाध्यक्ष
मारवाड़ी कॉलेज, किशनगंज।
1 Comments
Bahut accha hain sir
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