बिजली रानी के रूठने और मनाने का दौर जारी,हल्की वर्षा से बिजली हो जाती हैं गायब।
किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की रिपोर्ट ।
किशनगंज (बिहार )- बर्षा की चंद बून्दों की फूहारों को भी नहीं झेल पा रही है बिजली रानी ,जिससे इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि तकनीकों का संचालन किस पैमाने पर किया जा रहा है।
अब जब देहात और शहरों में बिजली के पुराने तारों को बदलकर मोटे और कवर बाले तार लगाकर फाल्ट के खिचखिच से विभाग निजात पा रही है ।तो अब विभाग में पनप रही नई बीमारी 33000 के वी ब्रेक डाऊन इन दिनों सुर्खियां बटोर रही है ।जिसकी वजह रही है कि पिछले सप्ताह से हो रही बर्षा के कारण यह बीमारी आम हो चली है ।जिससे शहर हो या गांव दिन तो दिन ,आधी रात के बाद से बिजली का रिश्ता पानी का बुलबुला बनकर लोगों के लिए परेशानियों का सबव बन चुकी है ।हलांकि तेज हवा और आंधी को छोड़कर यह सिलसिला तेज होता जा रहा है ।जब आठ घंटे से लेकर बारह घंटों तक बिजली रुठी रहती है ।जिसे मनाने के लिए मानवदल दानवदल की तरह इसके पीछे पड़ जाती है तो यह खुशी खुशी वापस आ जाती है ।पर बिजली उपभोक्ताओं को तो जैसे विभाग की लचर हालत और बिजली के रुठने की कोई परवाह हीं नहीं होती है ।जहाँ ये हाट बाजारों में बोलने लगते हैं कि -ऐ भाई अब स्थानीय फाल्ट रिपयेरिंग के बजाय ,अब उपर से बिजली बंद है की बातें तो बिजली बाले खुद से बोल पड़ते हैं ।वह भी तब जब जानलेवा कोरोना संक्रमण से बचाव में लगे स्वास्थ्य विभाग को भी जेनरेटर चलाने की मजबूरी बन आती है ।फिर ऐसे में जबकि जिले के सभी प्रखंडों में सब स्टेशनों को चालू कर किशनगंज जिला मुख्यालय से निकलने बाली बिजली पर लोड कम कर दिया जा चुका है ।जिससे विभाग की कथनी कि लम्बी लाईन और लम्बा सफर कर बिजली जाने में कई मुशिबतों का सामना करना पडता है ।अब तो सफर की दूरियां कम हो गई है तो अब .........।ऐसे में बाजारों से केरोसीन हंटाकर बिजली देने की सरकारी नीतियों को ढंग का आम्लीजामा पहनाने के लिए विभाग को उन्नत किस्मों को इस्तेमाल में लाना जरुरी माना जा रहा है।
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