तैयार फ़सल सड़ने के कगार पर। |
किशनगंज टाइम्स के लिए अकिल आलम की रिपोर्ट।
किशनगंज (बिहार )- बेमौसम बरसात और आंधियां अब कहर बनकर किसानों पर आफत ढा रही हैं ।जिससे किसान त्राहि त्राहिकर उठे हैं। तीन दिनों से मौसम की बेरुखी से आम जीवन हुआ अस्तव्यस्त।
दिन तो किसी तरह कट जाते हैं ,पर शाम ढलते हीं मौसम की बदलती करवटें रात को तेज हवा और पानी की बौछारों से किसानों की रही सही हिम्मतें भी अब टूटने के अंतिम कगार पर है। चारो ओर लहलहाती मक्कों की फसले पहले तो आंधियों के थपेड़ों से धरती पकड़ चुके थे ।जिनके पोधे टूटकर बिखरे पड़े थे ।अब ना थमने वाली हवा और बरसात उसे सड़ा देने म़े लगी है ।ऐसे में मेहनतकश किसान क्या करे और क्या ना करें की विपत्तियों से घिरा पड़ा है ।महंगे खाद -बीजों से लगी मेहनत की फसलें बर्वाद होकर इनके सपनों को चूर चूर करती जा रही है।अपने परिवार के भविष्य को लेकर देखे जानेवाले सुनहरे सपने टूटकर बिखरने लगे हैं ,तो कोरोना के खतरों के बीच फसलों के नुकसान के बाद तो "अब केवल और केवल मालिक पर हीं भरोसा बचा रह गया है।
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