शब-ए-बरात आज, लोग करेंगे ख़ास इबादत।
किशनगंज टाइम्स के लिए अकिल आलम कि रिपोर्ट।
किशनगंज (बिहार )- जो मर चुके हैं उनकी मगफिरत की अल्लाह से फरियाद करना शबे बरआत है ।शाबान की 15 वीं रात जिसे इस्लाम में "लैलतुल मुवारका (बरकतों की रात )भी कहा गया है। इस रात को अपने गुनाहों से निजात पाने के लिए लोग इवादत और रियाजत करते हैं।
इस मौके पर लोग आज घरों में कुरआन शरीफ़ की तिलावत कर खासतौर पर इवादत करेंगे।हलांकि लोग आज के दिन कब्रिस्तानों में जाकर कब्रों पर मोमबत्तियां -अगरबत्तियां जलाते थे। पर सिया-सुन्नी वक्फ वोर्ड की जानिव से जारी अपील और कोरोना वायरस की तेजी से बढ़ती रफ्तारों के बीच इवादतों को घरों में हीं अदा करने की खबरें मिली है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बरात मनाई जाती है। शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहां शब का अर्थ रात से है वहीं बारात का मतलब बरी होना है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूरज डूबने के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फजीलत रात मानी जाती है। इस दिन दुनिया के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। कई लोग इस मौके पर रोजा भी रखते हैं।
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