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किशनगंज पुलिस के क्रियाकलापों से हम होंगे कामयाब की निकलती आवाजें।

गुप्तेश्वर पांडे,डीजीपी बिहार (फाइल फोटो)
किशनगंज पुलिस के क्रियाकलापों से हम होंगे कामयाब की निकलती आवाजें।

किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की एक विशेष रपट।


किशनगंज (बिहार )- "उम्र की राह में ,रास्ते बदल जाते हैं, वक्त की आंधियों में इन्सान बदल जाते हैं ।
              पुलिस महानिदेशक बिहार ,गुप्तेश्वर पाण्डेय(आइ पी एस) के नक्से कदम पर चलकर आज किशनगंज पुलिस राज्य हीं नहीं ,बल्कि हिन्दुस्तान की विपरीत परिस्थितियों में  "हम होंगे कामयाब ,हम होंगे कामयाब " के नारे लगाकर डीजीपी बिहार के रास्तों पर हम सफर की भूमिकाओं में है। जहाँ एस पी कुमार आशिष की शख्सियत और उनके मातहतों की टीमें लाकडाऊंन में जनसेवा को अपना लक्ष्य बनाकर भूखे -नंगे ,लाचार -बेबस बीमारों की बैशाखियां बनकर सेवा करने में जुटी है। 
सड़कों पर किशनगंज एसपी

 कभी कभी लोग पिछले बिहार पुलिस और आज के बिहार पुलिस और उनकी कारगुजारियों को देखकर ,महसूस कर भावविह्वल हो उठते हैं ।जब एस पी खुद से दवा खरीदकर उन तक पहुंचाने की व्यवस्था करते हैं ।यहां यह कोई दिखावे की बातें नहीं है ,बल्कि कैंसर रोगी को पटना महावीर कैंसर संस्थान से दवा मंगाकर उसके घर पहुंचाने की है ।बीते दिन भारत नेपाल की सीमाओं से सटे गरभनडंगा गांव के लाचार कमल किशोर अग्रवाल पिता भक्ति अग्रवाल को किशनगंज एस पी ने बजरंगबली की भूमिका में दवाऐं खरीदकर उन तक पहुंचाई ।जहाँ थानाध्यक्ष बहादुरगंज सुमन कुमार जब दवा लेकर एस पी के आदेश पर उनके घर पहुंचे तो उस समय का वर्णन शब्दों में किया जाना संभव नहीं लगता है ।यह तो समय है जब गरभनडंगा के स्व.बनियां बाबू की यहाँ तूती बोलती थी ।जिनके दो पुत्र नंदी और भक्ति अग्रवाल ,जहाँ आज किशनगंज पुलिस ने अपनी सेवाऐं पहुंचाई थी ।जिनके दरवाजे पर हाथी बंधे होते थे ,आज वह दवा के वगैर असहाय पड़ा था ।जिसकी सहायता किशनगंज में किशनगंज पुलिस लगी थी ।आज भी गरभनडंगा में अंग्रेजी शासनकाल का लकड़ी से बना थाना इसका मूक गवाह है ।सच तो ये भी है कि थाना इसी लकड़ी के भवन से संचालित होता है ।जबकि नया भवन भी बिना हस्तांतरित किये यहाँ बना हुआ है ।
ऐसे कई ऐसे ज्वलंत और मौजूद उदाहरण हैं --जहाँ बहादुरगंज थानाध्यक्ष सुमन कुमार अपने सहयोगियों के बल बूते आपसी सहयोग से आज भी इनके पुलिस बल की जीप जिधर से निकलती हैं, वहां के अंधे -लाचर ,विकलांग और निर्धन वेवाओं को एक भोजन के सामानों से भरा झोला उन्हें जरुर दिया जाता है ।जिस पुलिस थाने ने दो दिन पहले मुफ्त एम्बुलेंस की सेवा लोगों को अर्पित कर बिहार हीं नहीं पूरे भारत में एक अनोखा उदाहरण पेश किया है ।जहाँ नेपाल की तराई में बसे इस क्षेत्र के लोग "लाल टोपी " देखकर घरों में छुप जाते थे ।आज वही लोग ,वही ग्रामीण "किशनगंज पुलिस जिंदाबाद "कहकर उन्हें गले लगाने तक को तैयार रहते हैं ।वह भी तब जब बेहतर पुलिसिंग ,मानव सेवा और उदार चरित्र के किशनगंज एस पी कहीं विषम परिस्थितियों में सड़कों पर दिख जाते हैं तो ......।जिसका अनुकरण करते रंजन कुमार(कोचाधामन पी एस )एस के पासवान (पुलिस केंद्र प्रभारी ) , तरुण कुमार तरुणेश (गलगलिया थानाध्यक्ष ) ,कुंदन कुमार (पोठिया थानाध्यक्ष ),आरिज एहकाम ,(दिघलबैंक),नीरज कुमार निराला (कोढ़ोबाड़ी ) ,ईश्वरी प्रसाद (ओ पी प्रभारी ,अर्राबाड़ी ),इकबाल हुसैन (पौआखाली एस एच ओ ) एवं अन्य पुलिस पदाधिकारी कोरोना संक्रमण की विपरीत परिस्थितियों में अपने अपने पुलिस पब्लिक संस्कारों का उत्कृष्ट उदाहरणों का प्रदर्शन करते देखे जाते हैं ।वास्तव में किशनगंज पुलिस में व्याप्त लोक सेवाओं का चरित्र वर्णन लिखकर नहीं ,देखकर किया जा सकता है।
दवा देते बहादुरगंज थानाध्यक्ष।

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