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बहादुरगंज थाना एक नजर में।

बहादुरगंज पुलिस आवास
बहादुरगंज थाना रक नजर में।किशनगंज टाइम्स के लिए एसके झा की रिपोर्ट।

किशनगंज (बिहार )- जिले की बहादुरगंज पुलिस को,दिन और रात की ड्यूटी से लौटकर आने के बाद बिछावन पर बैठे मिल जाते हैं नाग और नागिन की जोड़ी ।जिसे बड़ी मुश्किल से सांप पकडने बाले को बुलाकर ,इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाता है ।
वाकिया जिले के बहादुरगंज थाना का है ।जहाँ अंग्रेजी शासन में बने पुराने खंडहरनुमा पुलिस आवास में आज भी पदाधिकारी केवल अपना सिर छुपा पाते हैं ।एक बार नहीं सांपों के छत से लटकते रहने ,बिछावन पर कुंडली मारकर बैठने और रास्तों पर चलते रहने की ना जाने कितनी घटनाऐं अब से पहले तक देखी जा चुकी है ।साल डेढ़ साल में पदाधिकारी बदल जाते हैं दूसरे यहां अपना डेरा जमाते हैं और फिर सांपों का घर में बिछावन पर रहने का सिलसिला जारी रहता है ।हलांकि जाड़े में सांप कम निकलते हैं ,पर अब की तरह बढ़ रही गर्मियों में तो इनका निकलना वदस्तूर जारी है ।ऐसे में पुलिसिंग कार्यों की अफरतफरी और आराम के समय नागों के दर्शन से सहज हीं पुलिसकर्मियों की परेशानियों का अंदाजा लगाया जा सकता है ।पर विडंबना ये कि आज भी अंग्रेजी शासन के खंडहरनुमा मकानों में सरकार के द्वारा कोई भी बदलाव नहीं लाया जा सका है ।खासकर बहादुरगंज थाना के आसपास और पूरे नगर क्षेत्रों में आवासीय मकानों की काफी किल्लत है ।जिसकी वजह से यहां की पुलिस "मरता क्या नहीं करता "की तर्ज पर किसी तरह अपनी ड्यूटी पूरी जिम्मेदारियों से करते है ।जिसके कारण भी बहादुरगंज थाना को यहाँ के लोग बहुत अच्छा कहते हैं ।आईऐ ; आपको इस थाने के पिछले इतिहास से आपको रु व रु करवाते हैं ।
बिछावन पर बैठा नाग।

अंग्रेजी शासन के समय स्थापित थाना में बने थाना सिरस्ता में अब से दो ढाई बर्ष पहले ,बरसात के समय ओ डी पदाधिकारी छाता तानकर बैठा करते थे ।जिसकी हालत पर तरस खाकर विभाग की ओर से इसे जैसे तैसे ठीक कराया गया ।जो अब बरसात में नहीं चू रहा है ।अभी हाल के दिनों में सन् 2019 के 05 दिसम्बर को 2009 बैच के एस आई सुमन कुमार सिंह को इस थाने की कमान सौंपी गई ।थाना की जर्जर दशा को देखते हुए ,23 सर्किल के इस बड़े थाना की दशा बदलने के लिए सुमन ने कर्तव्यों का निर्वहन करते इसकी दशा और दिशा बदलने की ठान ली ।इनके मेहनत और आमजनों में बढ़ती लोकप्रियता के बीच सहयोग -सेवा और वंधुत्व के मूलमंत्रों का पालन करते हुए थाना का रुप रंग बदल सा गया है ।आज यहाँ टूटी फूटी पुरानी कुर्सियों की जगह सोफे ने ले ली ।रंग रोगन ,फुलबाड़ी और जल -जीवन -हरियाली यहाँ सहज दिख जाती है ।झूलते पर्दे ,आगंतुकों को पानी पिलाने की नई परम्परा और ना जाने जनता जनार्दन की सेवा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई। पर दुर्भाग्यपूर्ण लगता है जब इन बातों का बखान करते सिपाही बैरक ,पदाधिकारियों के आवासों और जनता को सुरक्षा देकर सुरक्षित रखने बाली बहादुरगंज पुलिस खुद को असुरक्षित महसूस करती है ।एन्सास और छोटे हथियारों को संभालने बाले पुलिस जवान अस्थाई आवास में तो अन्य अधिकारियों का डेरा नागों के आवास में है ।कृपा नाग देवता की है कि अब तक उनसे किसी का नुकसान नहीं हुआ है।जिसकी ओर  सरकारऔर सरकार में ऊंचे ओहदे पर आसीन पदाधिकारियों को इसे काफी करीब से देखे जाने और इसके दशा दिशाओं को बदलने की आवश्यकता महसूस की जा रही है ।अब देखना ये है कि जनता को सुरक्षा देने बाली पुलिस की सुरक्षा सरकार कैसे करती है ।

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