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Kishanganj Times | किशनगंज (बिहार )- हारमोनियम गले में लटकाए एक बूढ़ा फकीर गाना गा रहे थे..!!





               शहरनामा                      



किशनगंज (बिहार )- हारमोनियम गले में  लटकाए एक बूढ़ा फकीर गाना गा रहे  थे , जिसके बोल थे " कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना ,तुम मुझे जालिम बनाओ ना जमाना" पुराने जमाने का गीत जो यहाँ इशारों इशारों में बहुत कुछ कहने के लिए काफी था ।
            राजा का दरवार सज चुका था ,जहाँ राजा के अमले बैठे राजा की बातों पर गौर कर रहे थे ।जहाँ राजा के कारिंदों के साथ ,अनाज बांटने बाले व्यापारी भी बैठे थे ।कोई भूखा ना रहे ,और सबों को समान सहायता मिले ,कम और अधिक की असमानता ना रहे ।दरवारी भी हां में हां मिलाकर बोलते जा रहे थे -हुजूर का इकवाल बुलंद हो ,बुलंद हो ।जिसे बूढ़ा गीत गाने बाला भिखारी भी दरवार के बाहर से राजा की बातें सुन रहे थे ।और बीच बीच में बुदबुदाते जारहे थे ।राजा भी गजब ढा रहे हैं ,व्यापारियों को तो धमका रहे हैं ।पर बाहर तो महंगाई को आसमान छूने की इजाजत मिली है ।खाने पीने के सामानों को ऐसे बेचा जा रहा है ,ताकि कोई कुछ बोल ना पाये ।भिखारी बाबा उठकर रास्ते पर आ जाते हैं और फिर से गाना गाने लगते हैं - दान की चर्चा घर घर पहुंचे ,लूट की दौलत छुपी रहे ,नकली चेहरा सामने आये ,असली सूरत छुपी रहे ।उसी समय एक आदमी बाबा के हारमोनियम पर पचास का एक नोट देकर पूछता है -बाबा इस गीत का क्या मायने है ।बूढ़े बाबा लम्बी सांसें छोड़कर बोल पड़ते हैं कि -बाबू घोर कलियुग आ गया है ,गरीब गुरवा ई सटडाऊन में नीमक लेने बाजार जाते हैं तो चार रुपयों की नमक छः रुपये ।बेचारा चार की जगह छः की बातें सुन बोलता है ।ऐसा क्यों भाई ,तपाक से सामान बेचने बाला कहता है ,दाम बढ़ गया है ।जहाँ से नीमक आता है वोहि जादा दाम लेता है ,पूर्जा भी नहीं देता है ।कहता है लेना है तो लो नहीं तो रस्ता देखो ।ई हाल गांव देहात का है पर राजा जी को क्या मालुम कि उनके राज में एक दो नहीं दस नम्बरी बनकर लोग लाखों में खेलने लगे हैं ।जहाँ गोदामों में माल बिना कोई लिखापढ़ी के कांचा हुआ है ।फिर जिसे लेना है ले या जायें चुल्हे भांड़ में ।वहाँ राजा साहब की नजर थोड़े हीं जाती है ।राजा जी तो बस और बस सट्डाऊंन के पीछे पड़े हैं ।सो बाजार का भाव तेज हो गया है ।हारमोनियम पर फिर सुर लगाते बूढ़े बाबा गाते हुए सड़क पर आगे बढ़ जाते हैं और लोग उनके पीछे चलते चलते सुनते हैं "रामचन्द्र कहि गये सिया से ,ऐसन कलियुग आबेगा ,और हंस चुनेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा "।

किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की रिपोर्ट।

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