*सच्ची किन्तु कड़वी कहानी ,बहादुरगंज में बहता पानी *
किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की रिपोर्ट।
किशनगंज (बिहार)- जिलान्तर्गत बहादुरगंज के मुख्य सड़क पर बर्षा के पानी से बनी नदी ,जिससे बचाव करने में प्रशासनिक पहल हुई फेल ,नहीं निकल पाया कोई हल ।पथ निर्माण विभाग ने तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं पाई है अब तक इस जोखिम भरे कठिनाइयों पर कोई सफलता ।जिसकी वजह से पुरुष तो सवारी गाड़ियों से तो महिलाएं घुटने तक कपड़े .........।
कई सालों से लोगों का पीछा कर उन्हें गढ़ों में गिरने पड़ने पर काफी हायतोबा मची ।तो नगर के वार्ड पार्षदों ने कभी मिट्टी तो कभी बालू और ईंट के टुकड़ों से इस मुश्किल से छुटकारे की खूब कोशिशें की।जिससे नगर के फंडों का भी शायद काफी वारा न्यारा किया गया होगा ।पर इनकी एक ना चली तो जिला प्रशासन के पहल पर मरम्मती की गाड़ी चल पड़ी ।नाले बने ,सड़क को दुरुस्त किया गया तो राहगीरों ने थोड़ी देर के लिए राहत की सांसें ली ।पर लाखों रुपये सरकारी खर्च के बाद राहगीरों की सांसें फिर से उखड़ने लगी ।फिर से उसी जगह रजिस्ट्री आफिस परिसर से सटी सड़क पर नदी की तरह लम्बी चौड़ी जगहों पर पानी के बहाव और जल जमाव ने मानों नदी का रुप धारण कर लिया और फिर वही ढाक के तीन पात ।कहाँ तो सरकार और सरकारी अमले जानलेवा कोऱोणा संक्रमण से बचने के लिए बीस मिनटों पर हाथों को धोने की सलाह देते लोगों में जागरूकता फैलाने में लगे हैं ,सोशल डिस्टेंसिंग के पालन को अहम मान रहे हैं ।पर दुर्भाग्य है उन राहगीरों का जो दिन में कई बार इसी कीचड़ भरे जल जमाव से होकर गुजरते हैं ।जबकि सड़क से हटे बंधन बैंक जहाँ इसी जमें पानी में खड़े होकर या इसी से बिल्कुल सटे जगहों पर खड़े होकर बैंक में अपनी बारी का इन्तजार करते हैं ।ऐसे में आते जाते लोग नगर पंचायतों को तो कभी पथ निर्माण एजेंसी पर अपनी भड़ास निकाल कर चलते रहते हैं ।ऐसे में कई सबाल उठते हैं कि -क्या नगर से गुजरकर नेपाल की सीमाओं तक जाने बाली सड़क का यही हाल रहेगा , या इससे निजात पाने के लिए जिला प्रशासन कोई हल निकालने का निर्देश पथ निर्माण ऐजेंसियों को देगी ?
किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की रिपोर्ट।
बहादुरगंज में सड़क पर पानी हीं पानी। |
किशनगंज (बिहार)- जिलान्तर्गत बहादुरगंज के मुख्य सड़क पर बर्षा के पानी से बनी नदी ,जिससे बचाव करने में प्रशासनिक पहल हुई फेल ,नहीं निकल पाया कोई हल ।पथ निर्माण विभाग ने तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं पाई है अब तक इस जोखिम भरे कठिनाइयों पर कोई सफलता ।जिसकी वजह से पुरुष तो सवारी गाड़ियों से तो महिलाएं घुटने तक कपड़े .........।
कई सालों से लोगों का पीछा कर उन्हें गढ़ों में गिरने पड़ने पर काफी हायतोबा मची ।तो नगर के वार्ड पार्षदों ने कभी मिट्टी तो कभी बालू और ईंट के टुकड़ों से इस मुश्किल से छुटकारे की खूब कोशिशें की।जिससे नगर के फंडों का भी शायद काफी वारा न्यारा किया गया होगा ।पर इनकी एक ना चली तो जिला प्रशासन के पहल पर मरम्मती की गाड़ी चल पड़ी ।नाले बने ,सड़क को दुरुस्त किया गया तो राहगीरों ने थोड़ी देर के लिए राहत की सांसें ली ।पर लाखों रुपये सरकारी खर्च के बाद राहगीरों की सांसें फिर से उखड़ने लगी ।फिर से उसी जगह रजिस्ट्री आफिस परिसर से सटी सड़क पर नदी की तरह लम्बी चौड़ी जगहों पर पानी के बहाव और जल जमाव ने मानों नदी का रुप धारण कर लिया और फिर वही ढाक के तीन पात ।कहाँ तो सरकार और सरकारी अमले जानलेवा कोऱोणा संक्रमण से बचने के लिए बीस मिनटों पर हाथों को धोने की सलाह देते लोगों में जागरूकता फैलाने में लगे हैं ,सोशल डिस्टेंसिंग के पालन को अहम मान रहे हैं ।पर दुर्भाग्य है उन राहगीरों का जो दिन में कई बार इसी कीचड़ भरे जल जमाव से होकर गुजरते हैं ।जबकि सड़क से हटे बंधन बैंक जहाँ इसी जमें पानी में खड़े होकर या इसी से बिल्कुल सटे जगहों पर खड़े होकर बैंक में अपनी बारी का इन्तजार करते हैं ।ऐसे में आते जाते लोग नगर पंचायतों को तो कभी पथ निर्माण एजेंसी पर अपनी भड़ास निकाल कर चलते रहते हैं ।ऐसे में कई सबाल उठते हैं कि -क्या नगर से गुजरकर नेपाल की सीमाओं तक जाने बाली सड़क का यही हाल रहेगा , या इससे निजात पाने के लिए जिला प्रशासन कोई हल निकालने का निर्देश पथ निर्माण ऐजेंसियों को देगी ?
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