राहत संस्था कोरोना संक्रमण के बीच बेसहारों का सहारा बनी।
किशनगंज (बिहार )- किशनगंज की लाडली कोरोना संक्रमण के बीच घर से निकलकर पूर्णियां जिला के अमौर -बैसा में कर रही है गरीब मजलूमों की मदद। राहत संस्था के बैनर तले राहत से राहत देने में जुटी फरज़ाना महिला सशक्तिकरण और कोरोना बरियर्स का अव्वलतम किरदार को फर्ज समझ करती जा रही है ।जिन्हें किशनगंज टाईम्स का सलाम है ।
कौन कहता है कि आसमां में सुराग़ हो नहीं सकता,तबियत से एक पत्थर तो उछालो यारो।।
ऐसे किरदार में कोरोना के फैलते सिलसिलों के बीच किशनगंज राहत ऐदारा की इस बेटी ने कमाल हीं कर दिखाया है ।वह भी तब जब गर्मी ,बरसात या फिर कोरोना से डरे वगैर इनका सफर आज भी पहले की तरह जारी है ।पिछले दिनों लॉकडाऊन में भूखे गरीब और बेसहारों का सहारा बनकर ये पूर्णियाँ जिले के अमौर और बैसा प्रखंडों में चार सौ लोगों के बीच खाने के सामानों को मुहैया कराया ।दिली जज्वात और बेसहारों के लिए रहमदिल फरज़ाना बेगम किसी तार्रुफ की मोहताज नहीं है।
जो इस एन जी ओ के जरिये कई अहम कामों को अंजाम तक पहुंचाती हुई विदेशों में भी अपनी इस एदारे को चमकाई है ।ऐसे में फरज़ाना के ताकतवर औरत होने की कई मिशालें पेश किये जाते रहे हैं ।जहाँ किशनगंज का सरकारी महकमा भी इनकी कदमों से कदम मिलाती काफी़ कुछ कह जाती है ।
लोगों की मदद करती राहत के सचिव। |
शशिकांत झा |
कौन कहता है कि आसमां में सुराग़ हो नहीं सकता,तबियत से एक पत्थर तो उछालो यारो।।
ऐसे किरदार में कोरोना के फैलते सिलसिलों के बीच किशनगंज राहत ऐदारा की इस बेटी ने कमाल हीं कर दिखाया है ।वह भी तब जब गर्मी ,बरसात या फिर कोरोना से डरे वगैर इनका सफर आज भी पहले की तरह जारी है ।पिछले दिनों लॉकडाऊन में भूखे गरीब और बेसहारों का सहारा बनकर ये पूर्णियाँ जिले के अमौर और बैसा प्रखंडों में चार सौ लोगों के बीच खाने के सामानों को मुहैया कराया ।दिली जज्वात और बेसहारों के लिए रहमदिल फरज़ाना बेगम किसी तार्रुफ की मोहताज नहीं है।
जो इस एन जी ओ के जरिये कई अहम कामों को अंजाम तक पहुंचाती हुई विदेशों में भी अपनी इस एदारे को चमकाई है ।ऐसे में फरज़ाना के ताकतवर औरत होने की कई मिशालें पेश किये जाते रहे हैं ।जहाँ किशनगंज का सरकारी महकमा भी इनकी कदमों से कदम मिलाती काफी़ कुछ कह जाती है ।
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