साथी हाथ बढाना। एक अकेला थक जाए तो,मिलकर हाथ बटाना।
ग्रामीणों ने श्रमदान से बनाया बांध और सड़क।
|
क्षतिग्रस्त बांध का मरम्मत करते लोग।
|
|
अकील आलम |
किशनगंज (बिहार)- जिले के भारत नेपाल से सटी ऐसी सीमा ,जहाँ कभी कथित माओवादियों नेअपनी सीमा कहकर नेपाली झंडा गाड़ दिया था। जहाँ तब भी और अब भी किसी सरकार की नजरें नहीं उठी है। बाढ़ आई और सड़क सहित तटबंध भी तेज बहाव में बह गया ।समय काफी बीत चुके थे सरकारी सहायताओं की आश में ,तो ग्रामीणों ने "साथी हाथ बढ़ाना"की तर्ज पर श्रमदान से सड़क और बांध का निर्माण किया ।
वाकया सिंघीमारी पंचायत के कनकई नदी पार पच्छिमी तट पर बनें बांध की मरम्मती का था,जहाँ बलवाडांगी के ग्रामीणों ने आपस में चंदा एवं श्रम दान कर क्षतिग्रस्त बांध एवं हरिजन टोला में मिट्टीकरण का काम पूरा कर लिया। ग्रामीणों ने बताया कि 2019 में कनकई नदी के सैलाब से आयी बाढ़ से बांध दो जगहों पर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया तभी बांध के कट जाने और गांवो में नदी का पानी घुस आने से जानमाल का काफी नुकसान पहुँचा था। ग्रामीणों ने बताया कि सामनें बरसात का महीना है पर पंचायत स्तर से अभी तक बांध के मरम्मती का काम शुरु नहीं कराया गया। उन्हें डर इस बात का सता रहा था कि समय रहते बांध का मरम्मती काम नहीं कराया गया तो बारिश का महीना कष्ट में कटने वाला है तो फिर ग्रामीणों से आपस में चंदा इकट्ठा कर बांध का मरम्मती कार्य पूरा कर लिया। जिसमें मदन मोहन सिंह,भद्रर लाल सिंह,डोरा लाल सिंह,दिगम्बर प्रसाद,कृष्ण प्रसाद सिंह,बिधय प्रसाद,राजेश कुमार, दिलीप,सोम,जंगी लाल ,शैल प्रसाद आदि का अहम योगदान रहा।
0 Comments