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माहे रमजानुल मुबारक पर हुई रोजे की शुरुआत।



माहे रमजानुल मुबारक पर हुई रोजे की शुरुआत।

किशनगंज टाइम्स के लिए अकिल आलम की रिपोर्ट।
 
  किशनगंज (बिहार)- लोगों ने रातों को घर में पढ़ी तरावीह की नमाजे,आज से हुई माहे रमजानुल मुबारक पर पहले रोजे की शुरुआत। शुक्रवार को चांद का दीदार करने के साथ ही रमजान के पाक महीने की शुरुआत हो गई ।जहां लोगों ने एक दूसरे को चांद देखे जाने एवं रमजान आने की मुबारकबाद दी। इस्लामिक कलेंडर के 9वें माह में रमजान की शुरुआत होती हैं जहां लोग इस पूरे महीने में रोजा रखकर ख़ास इबादत करते हैं। इस दौरान लोग तय समय के अनुसार सेहरी खाते हैं एवं दिनभर रोजे के बाद शाम में तय समय में खाते हैं जिसे इफ्तार कहा जाता है। रमजान के महीने में 10 दिनों को अरसा में बांटा गया है ।जैसे पहला अरसा अल्लाह की रहमत का, दूसरा अरसा गुनाहों की माफी की और तीसरा अरसा दोजख से छुटकारा पाने का है।

आइये जानते हैं रमजान की कुछ ख़ास बातें-

 उद्देश्य- 
 इस माह में नवाफ़िल का सवाब सुन्नतों के बराबर और हर सुन्नत का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और हर फ़र्ज़ का सवाब 70 फर्ज के बराबर कर दिया जाता है। इस माह में हर नेकी पर 70 नेकी का सवाब होता। इस माह में अल्लाह के इनामों की बारिश होती है।

 उत्सव-
 इस पूरे माह में रोज़े रखे जाते हैं और इस दौरान इशा की नमाज़ के साथ 20 रकत नमाज़ में क़ुरआन मजीद सुना जाता है, जिसे तरावीह कहते हैं।कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को लेकर लोगों से घरों में ही तरावीह एवं दूसरी इबादतों को करने की नसीहतें दी जा चुकी हैं। जिस पर अमल करते हुए लोगों ने घरों में पढ़ी तरावीह की नमाजें पढ़ी।

कुछ अन्य जानकारी- 
 रमज़ान के महीने में अल्लाह की तरफ़ से हज़रत मोहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम पर क़ुरान शरीफ़ नाजिल हुआ था।इस महीने के आख़री दस दिनों में एक रात ऐसी है जिसे शबे क़द्र कहते हैं। शबे क़द्र का अर्थ है, वह रात जिसकी क़द्र की जाए। यह रात जाग कर अल्लाह की इबादत में गुज़ार दी जाती है। इसी महीने में पवित्र क़ुरआन नाज़िल हुआ था। यह अल्लाह का महीना है। इस महीने की जितनी भी तारीफ की जाए, वह कम है। इस महीने की बरकत में अल्लाह ने बताया कि- इसमें मेरे बंदे मेरी इबादत करें। इस महीने के आख़री दस दिनों में एक रात ऐसी है, जिसे शबे क़द्र कहते हैं। 21, 23, 25, 27, 29 वें में शबे क़द्र को तलाश करते हैं। यह रात हज़ार महीने की इबादत करने से भी अधिक बेहतर होती है। शबे क़द्र का अर्थ है-"वह रात जिसकी क़द्र की जाए।" यह रात जाग कर अल्लाह की इबादत में गुज़ार दी जाती है।  रमज़ान बरकतों वाला महीना है, इस माहे मुबारक में अल्लाह अपने बंदो को बेइंतिहा न्यामतों से नवाज़ता है।

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