आवागमन के अभाव में अपनी जान गंवाकर भी ,अपना गुजर कर रहे हैं दिघलबैंक "कामतबस्ती" के लाचार ग्रामीण ।
भारत नेपाल की सीमा पर से एनके गुप्ता की विशेष रिपोर्ट।
किशनगंज (बिहार )-ऊफ ,कामत बस्ती (बिहार टोला)धनतोला में जंगली हाथी ने एक बूढ़े को कुचलकर मार डाला ।यह खबर फैलते हीं दिघलबैंक प्रखंड नहीं पूरे जिले में हाहाकार मच गया ।बूढ़े की कुचली लाश पर परिजनों का हृदय विदारक करुण क्रंदन और मौके पर पहुंची भीड़ ।थाना और वन विभाग को घटना की सूचना दी गई ।जहाँ घंटे दो घंटे बाद पुलिस ,अर्द्धसैनिक बल और वनों के अधिकारी पह़ुचे ।
देर से पहुंचने के पीछे भारत नेपाल सीमाओं से दस मीटर की दूरियों पर का यह घटनास्थल ,जहाँ अब तक सड़क के नाम पर पगडंडीनुमा कीचड़ भरी और गड्ढों बाली सड़क हीं देर से आने का कारण बना ।आईऐ आपको धनतोला -डोरिया से होकर कामत टोला सड़क पर के इस घटनास्थल पर लिये चलते हैं ।जहाँ पहुंचने के लिए गांव के अंतिम छोर तक कमीशनखोरी की भेट चढ़ी बेतरतीव सड़क ,उसके बाद कीचड़ से भरी पगडंडीनुमा सडक घटनास्थल पर जाती हुई ।और एक किलोमीटर वर्गाकार दायरों में घने मक्कों की फसलें ।ठीक इसी से सटा बिहार टोला एस एस बी केम्प ।जहाँ दिन के उजाले में बूडे़ रामायण शर्मा उर्फ शमोली शर्मा को जंगली हाथियों ने कुचल कर मार डाला ।फिर भला सीमाओं की रक्षा में लगे सुरक्षाबलों की कैसी गुजरती होगी -दर्जनों सबाल खड़े कर जाते हैं ।लोगों की अगर सुनी जाय तो ग्रामीण कह जाते हैं कि -अगर सड़क ठीक रहती तो रामायण दौड़कर बच सकते थे ।
उत्पात मचाते हाथियों का झुंड। (फाइल फोटो) |
जहाँ सरकार भारत नेपाल की खुली सीमाओं से सटकर फोरलेन सड़कें बनवा रही है ।वहाँ जंगलों की तरह दिखने बाले कामत बस्ती से बिहारटोला एस एस बी केम्प तक की सड़क कैसी है ,उस पर दिन दहाड़े चलकर हीं कोई समझ सकता है ।ऐसे में ऐसे दुर्गम और खतरों से भरी सड़क का शिघ्र निर्माण सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक है ।ताकि फिर किसी रामायण के अलावे कोई और हाथियों के कुचलने से मारा ना जा सके ।हलांकि मृतक के परिजनों को वन विभाग के अधिकारियों ने शिघ्र हीं मुआवजे की रकमों का भुगतान कर दिया है ।किन्तु स्थानीय जनप्रतिनिधियों ,अधिकारियों और जिला प्रशासन को इस दुर्गम ईलाकों का स्थल निरीक्षण कर आवश्यकतानुसार कार्यवाही करने की जरुरत समझी जाती है ।ताकि सीमा रक्षकों सहित आम ग्रामीणों की सुरक्षा हो सके।
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