दूर्दांतों को सलाखों के पीछे ढकेलने वाली किशनगंज पुलिस लोकसेवक बनकर रसोईया के रुप में।
किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की रिपोर्ट।
किशनगंज (बिहार )- दूर्दांत अपराधियों पर नकेल कसने बाली किशनगंज पुलिस खुद से रसोई बनाकर भूखों को भोजन कराने में जुटी है ।ताकि इनकी नजरों में कोरोना संक्रमण के बीच लगे लॉकडाऊन मे कोई भूखा ना रह जाये ।
ऐसे मौके पर लोकोक्ति के दोहे -साईं इतना दिजिए ,जामें कुटुम्ब समाय ।
मैं भी भूखा ना रहूं ,साधु ना भूखा जाये ,सटीक लगता है ।जहाँ जिले के पुलिस कप्तान कुमार आशिष स्वयं अपने सहयोगियों से सहयोगकर भोजन बना भूखों के सामने परोसने में लगे हैं ।जहाँ इन दिनों प्रवासी नागरिकों का बड़ी संख्याओं में किशनगंज आने का सिलसिला जोरों पर है ।वहाँ किशनगंज पुलिस ने कोरोना से लड़ने के लिए हरसंभव प्रयासों में जुटी है ।जिन प्रयासों के बीच अब किशनगंज पुलिस रसोईये की भी भूमिकाऐं निभा रही है ।खासकर जहाँ लोग जिले के एस पी को फोनकर आपात स्थितियों में दवाऐं मंगवाकर अपना ईलाज करा रहे हैं ।वहीं मरनासन्न स्थितियों में मुफ्त की पुलिस एम्वुलेंस सेवा पाकर बीमार महाबीर केंसर संस्थान पटना तक पहुंचाये जा रहे हैं ।जिसकी मुख्य भूमिकाएं स्वयं एस पी निभा रहे हैं ।जिनके निर्देश पर रोगी को दवाऐं ,लाचारों को एम्वुलेंस और जरुरतमंदों को अपना खून तक दे रही है "किशनगंज पुलिस ' ।बीते दिनों से लेकर वर्तमान की इन कहानियों की वास्तविकता आर्थात किशनगंज पुलिस ,जिनकी खांकी वर्दियों के पीछे छिपी मानवता,बिहार पुलिस का शौर्य बनकर पूरे सूबे के लिए एक अपूर्व और अनोखा उदाहरण बन चुका है ।अतिशयोक्ति नहीं होगी जहाँ किशनगंज पुलिस के इन्हीं कारगुजारियों से बिहार पुलिस के चेहरों पर निखार ला रही है ।जिसके कायल बिहार पुलिस के मुखिया माननीय गुप्तेश्वर पाण्डेय भी हो चुके हैं।
गरीब ,बेबस -लाचार और प्रवासी नागरिकों की जुबान से आज अगर कोई आवाज सुनी जा रही है तो वह है --जहाँ बेबस लाचारों का होता न्यारा -बस किशनगंज पुलिस एक सहारा ।जिसकी नई नई इवारतों को लिखते हुए किशनगंज पुलिस लोक सेवाओं के लिए हमेशा तत्पर रहती है ।
किशनगंज टाइम्स के लिए शशिकांत झा की रिपोर्ट।
रसोई में किशनगंज के एस पी कुमार आशिष। |
किशनगंज (बिहार )- दूर्दांत अपराधियों पर नकेल कसने बाली किशनगंज पुलिस खुद से रसोई बनाकर भूखों को भोजन कराने में जुटी है ।ताकि इनकी नजरों में कोरोना संक्रमण के बीच लगे लॉकडाऊन मे कोई भूखा ना रह जाये ।
ऐसे मौके पर लोकोक्ति के दोहे -साईं इतना दिजिए ,जामें कुटुम्ब समाय ।
मैं भी भूखा ना रहूं ,साधु ना भूखा जाये ,सटीक लगता है ।जहाँ जिले के पुलिस कप्तान कुमार आशिष स्वयं अपने सहयोगियों से सहयोगकर भोजन बना भूखों के सामने परोसने में लगे हैं ।जहाँ इन दिनों प्रवासी नागरिकों का बड़ी संख्याओं में किशनगंज आने का सिलसिला जोरों पर है ।वहाँ किशनगंज पुलिस ने कोरोना से लड़ने के लिए हरसंभव प्रयासों में जुटी है ।जिन प्रयासों के बीच अब किशनगंज पुलिस रसोईये की भी भूमिकाऐं निभा रही है ।खासकर जहाँ लोग जिले के एस पी को फोनकर आपात स्थितियों में दवाऐं मंगवाकर अपना ईलाज करा रहे हैं ।वहीं मरनासन्न स्थितियों में मुफ्त की पुलिस एम्वुलेंस सेवा पाकर बीमार महाबीर केंसर संस्थान पटना तक पहुंचाये जा रहे हैं ।जिसकी मुख्य भूमिकाएं स्वयं एस पी निभा रहे हैं ।जिनके निर्देश पर रोगी को दवाऐं ,लाचारों को एम्वुलेंस और जरुरतमंदों को अपना खून तक दे रही है "किशनगंज पुलिस ' ।बीते दिनों से लेकर वर्तमान की इन कहानियों की वास्तविकता आर्थात किशनगंज पुलिस ,जिनकी खांकी वर्दियों के पीछे छिपी मानवता,बिहार पुलिस का शौर्य बनकर पूरे सूबे के लिए एक अपूर्व और अनोखा उदाहरण बन चुका है ।अतिशयोक्ति नहीं होगी जहाँ किशनगंज पुलिस के इन्हीं कारगुजारियों से बिहार पुलिस के चेहरों पर निखार ला रही है ।जिसके कायल बिहार पुलिस के मुखिया माननीय गुप्तेश्वर पाण्डेय भी हो चुके हैं।
भोजन बनाते पु नि .सह मेजर ,एस के पासवान एवं सदर थानाध्यक्ष एस के यादव। |
गरीब ,बेबस -लाचार और प्रवासी नागरिकों की जुबान से आज अगर कोई आवाज सुनी जा रही है तो वह है --जहाँ बेबस लाचारों का होता न्यारा -बस किशनगंज पुलिस एक सहारा ।जिसकी नई नई इवारतों को लिखते हुए किशनगंज पुलिस लोक सेवाओं के लिए हमेशा तत्पर रहती है ।
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