किशनगंज (बिहार)| पिछले महीनें कनकई नदी में आयीं तेज उफान और बाढ़ की तबाही का मार झेल रहे सिंघीमारी पंचायत के मंदिरटोला गांव के लोगों का दर्द अभी भी कम नहीं हुआ है। नदी के दो छोड़ के बीच टापू में तब्दील कटाव का मार झेल रहें मंदिर टोला गांव के करीब तीन दर्जन परिवार गांव से विस्थापित हो कर आशियाने की तलाश में निर्माणधीन भारत-नेपाल सीमा सड़क के कोढ़ोबाड़ी गांव के समीप शरण लिए हुए है। इसके बाद भी बाढ़ पीड़ितों को किसी भी तरह का सरकारी मदद नहीं मिला है।कनकई नदी का जलस्तर कम होते ही अपना घर द्वार गवा चुकें बाढ़ पीड़ित रामजी ऋषिदेव,धर्मेन्द्र ऋषिदेव, सिकन्दर ऋषिदेव,शंकर ऋषिदेव,हित लाल ऋषिदेव,सूरजऋषिदेव, श्याम विलास ऋषिदेव,कलरी देवी,घनश्याम ऋषिदेव,प्रमोद ऋषिदेव,नुपुर लाल ऋषिदेव,ब्रह्म ऋषिदेव,रूपचन्द्र ऋषिदेव,नन्दू ऋषिदेव,दुधारी देवी,दर्शन ऋषिदेव सहित कुल 35 परिवार के लोग झोपड़ी बना कर अपने तथा अपने बाल बच्चों का सर ढ़कने की कोशिश में लगें।घनश्याम सिंह
गुरुवार को तेज घुप में टीन की छपरी में सर छुपाए बाढ़ पीड़ित महिलाओं ने बताया कि बाढ़ खत्म होने को पन्द्रह दिनों से भी अधिक समय हो गया पर अब तक कोई भी सरकारी मदद नहीं मिला है। बाढ़ की तबाही के बाद घर में कुछ बचे खुचे अनाज और पड़ोस के गांव वालों से जो मदद मिला उसी से अभी तक गुजारा चल रहा है। अगर समय रहते सरकारी मदद नहीं मिला तो भुखमरी की नोबत आ जायेगी। बतातें चले कि पिछले महीने 22 सितंबर की रात भारी बारिश के बीच कनकई में तेज उफान आने से पूरा गांव जलमग्न हो गया। नदी के उफान में गांव तक पहुंचे के लिए सरकारी नाव डूबने के अलावे गांव में बाढ़ ने खूब तबाही मचाया था। इस तबाही में मंदिर टोला गांव के आधे दर्जन घर नदी में समा गया जबकि 35 परिवारों ने घर के दहलीज तक नदी का कटाव देख अपना घर तोड़ गांव के ही सरकारी स्कूल में शरण लिया था। नदी का जलस्तर कम होते ही बाढ़ पीड़ित अपने परिवार वालों के संग बचे खुचे समानों के साथ निर्माणधीन भारत नेपाल सीमा के कोढ़ोबाड़ी गांव के समीप टीन की छपरी बनाये मदद की राह देख रहे हैं।
क्या कहते हैं पदाधिकारी -
प्रभारी सीओ कौशर इमाम से मंदिरटोला बाढ़ पीड़ितों को सरकारी मदद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे दिघलबैंक सीओ के दैनिक प्रभार में है। वित्तीय प्रभार नहीं सौंपा गया है इसलिए इस बारे में कुछ बता नहीं सकते।
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