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भारत नेपाल सीमा क्षेत्रों में जंगली हाथियों का आतंक।

मक्के के खेतों में हाथियों का झुंड।
भारत नेपाल सीमा क्षेत्रों में जंगली हाथियों का आतंक।
किशनगंज टाईम्स के लिए वरिष्ठ पत्रकार एस .के .झा की विशेष रिपोर्ट।

किशनगंज (बिहार )- लाकडाऊंन की अपील के बाद भी "गणेश"अवतार गजराज महाराज मक्कों के संहार के लिए फिर से भारत नेपाल की सीम़ाओं से सटे गांवों में अवतरित हो गये हैं। जहाँ मक्का सहित लोगों के घरवार तक को नहीं बक्स रहे हैं। ग्यारह की संख्याओं में जब इनका आगमन होता है तो चारो ओर हाहाकार मच जाता है ।क्योंकि गजराज के द्वारा एक किसान की को मौत के घाट उतारे जाने के बाद हाहाकार में बढ़ोत्तरी भी लाजमी है ।
   चलिए लिए चलते हैं आपको भारत नेपाल सीमा से सटे डोरिया गांव की ओर ,जहाँ नेपाली क्षेत्र का पिंडालबाड़ी गांव इसके आमने सामने है। जहाँ अभी गजराज का कहर प्रतिदन जारी है ।पहले ये रातों में आते और सुबह होते हीं जंगलों की ओर निकल जाते थे। पर ग्यारह के झुंड अब दिन दिन भर रहकर मक्कों का संहार करते रहते हैं।
हाथियों के झुंड ने कच्ची मकान को किया नष्ट।
गौरतलब है कि कोरोना जैसे घातक जानलेवा वायरस को लेकर भारत सहित नेपाल में भी इसके पालन करने की खबरें मिल जाती है। जहाँ से नेपाली नागरिकों का भारतीय सीम़ाओं में प्रवेश को वहां की सरकार ने रोक दिया है। पर गजराज का इतना बड़ा झुंड मक्कौं का स्वाद लेकर भोजन करने से नहीं चूक रहे हैं ।हलांकि इनके यहाँ इन इलाकों में आने का सिलसिला पिछले कई बर्षों से लगातार है। जिसकी चपेट में अब तक दो जानें गंवाई जा चुकी है। भारतीय सीम़ाओं से सटे नेपाली भूभाग के जंगलों से इनका यह झुंड मक्का फसल लगने के समय हीं आता है। जहाँ वन विभाग के हू -हा ,पड़ाकों की आवाजें और पुलिस के सायरन से कभी कभी इन पर असर डाल जाता है। पर वह भी तब जब रात हो जाती हो ।नहीं तो ये खेतों में फसलों को खाकर ,रौंदकर या फिर किसी ने इनको टोका तो उनके घरों को तोड़कर ,मक्कों के लम्बे और घने खेतों में हीं दिन गुजार देते हैं ।ऐसे में गजराज के हमलों से गई जानों के डर से लोग दिन तो दिन रात को भी चैन नहीं ले पाते हैं ।कोरोना के बढ़ते प्रभाव से घरों में दुबके सीम़ाओं से सटे गांवों के ग्रामीण दिन में भी निकलने से परहेज कर रहे हैं ।इनका प्रकोप बारभांग ,सूडीभीठा ,धनतोला ,मूलाबाड़ी ,तेलीभीठा ,करुवामनी और दुबड़ी ,खाड़ी दुबड़ी में अधिकतर देखा जा रहा है ।जिससे बचाव को लेकर वनकर्मियों सहित समान्य प्रशासन भी फूंक फूंककर कदम उठाते हैं ।ऐसे में इन्हें गणेश अवतार मानकर लोग इनकी पूजा अराधनाओं से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं ।

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